Mahashay Dharampal Gulati (MDH) Biography in Hindi | महाशय धर्मपाल गुलाटी (एम. डी. एच) जीवन परिचय | StarsUnfolded - हिंदी
Mahashay Dharampal Gulati (MDH) Biography in Hindi | महाशय धर्मपाल गुलाटी (एम. डी. एच) जीवन परिचय | StarsUnfolded - हिंदी
जीवन परिचय | |
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उपनाम | मसाला किंग, दादाजी, महाशयजी, मसालों के राजा |
व्यवसाय | व्यवसायी |
प्रसिद्ध हैं | एमडीएच मसालों के मालिक होने के नाते ![]() |
शारीरिक संरचना | |
लम्बाई (लगभग) | से० मी०- 170 मी०- 1.70 फीट इन्च- 5' 7" |
आँखों का रंग | काला |
बालों का रंग | श्वेत |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 27 मार्च 1923 (मंगलवार ) |
जन्मस्थान | सियालकोट, उत्तर-पूर्व पंजाब, पाकिस्तान |
मृत्यु तिथि | 3 दिसंबर 2020 (गुरुवार) |
मृत्यु स्थान | माता चानन देवी हॉस्पिटल, नई दिल्ली |
आयु (मृत्यु के समय) | 97 वर्ष |
मृत्यु का कारण | दिल का दौरा [1]Outlook |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | दिल्ली, भारत |
राशि | मेष |
शैक्षणिक योग्यता | पांचवी पास (पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी) |
धर्म | हिन्दू |
जाति | खत्री |
पता (कार्यालय) | 9/44, औद्योगिक क्षेत्र, कीर्ति नगर, दिल्ली - 110015 ![]() |
शौक/अभिरुचि | पतंग उड़ाना, पहलवानी करना, कबूतरबाजी करना |
पुरस्कार एवं सम्मान | वर्ष 2016 - एबीसीआई वार्षिक पुरस्कारों में 'इंडियन ऑफ़ द ईयर' ![]() वर्ष 2017- लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए उत्कृष्टता पुरस्कार ![]() वर्ष 2017- एफएमसीजी क्षेत्र में सबसे ज्यादा भुगतान करने वाले सीईओ (₹21 करोड़ / वर्ष) |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य मामलें | |
वैवाहिक स्थिति (मृत्यु के समय) | विदुर (Widower) |
विवाह तिथि | वर्ष 1941 |
परिवार | |
पत्नी | लीलावन्ती ![]() |
बच्चे | बेटा - संजीव गुलाटी, राजीव गुलाटी ![]() बेटी - 6 (नाम ज्ञात नहीं) |
माता-पिता | पिता - महाशय चुन्नी लाल माता - माता चानन देवी ![]() |
भाई-बहन | भाई- सतपाल गुलाटी एवं धर्मवीर गुलाटी बहन- 5 (नाम ज्ञात नहीं) |
पसंदीदा चीज़ें | |
पसंदीदा भोजन | पंजाबी व्यंजन |
धन संबंधित विवरण | |
कार संग्रह | क्रिसलर लिमो ![]() |
घर/एस्टेट | एमडीएच में 80% हिस्सेदारी, 15 कारखानों, 20 स्कूलों, 1 अस्पताल के मालिक हैं। |
आय (लगभग) | Rs. 21 करोड़ / वर्ष (वर्ष 2017 के अनुसार) |
कुल संपत्ति (लगभग) | Rs. 940 करोड़ |
महाशय धर्मपाल गुलाटी से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ
गुलाटी का जन्म पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था, जहां उनके पिता “महाशियाँ दी हट्टी” नामक एक दुकान से मसाले बेचने का कार्य करते थे।
वह आर्य समाज के बहुत बड़े अनुयायी थे।
10 वर्ष की उम्र में, उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा छोड़ दी (जब वह पांचवी कक्षा में थे) और अपने पिता की दुकान पर कार्य करना शुरू कर दिया।
7 सितंबर 1947 को, वह भारत-पाक विभाजन के बाद अपने परिवार के साथ पाकिस्तान से दिल्ली, भारत लौट आए।
उसके बाद, वह दिल्ली के करोल बाग़ में अपनी भतीजी के घर पर रहने लगे, जहां पानी, बिजली की आपूर्ति नहीं थी।
जब वह दिल्ली आए, तब उनके पिता ने उन्हें ₹1500 दिए थे, जिसमें से धर्मपाल गुलाटी ने ₹650 का तांगा (घोडा गाड़ी) खरीद लिया और कनॉट प्लेस से करोल बाग़ तक यात्रियों से 2 आने लेते थे।
भारतीय मुद्रा 2 आने
उन्हें अपनी आजीविका के लिए पर्याप्त रूप से साबित नहीं होने के कारण अक्सर अपमानित होना पड़ता था। इसलिए उन्होंने अपनी तांगा (घोडा गाड़ी) को बेच दिया और अजमल खान सड़क के किनारे एक छोटी सी दुकान बनाई और अपने परिवार का पुराना कारोबार मसालों को बेचना शुरू किया।
धर्मपाल गुलाटी 1950 के दशक में राज कपूर के साथ
प्रारंभ में सफलता के बाद, उन्होंने वर्ष 1953 में चांदनी चौक में एक और दुकान किराए पर ली, जिसके चलते वर्ष 1959 में उन्होंने स्वयं की फैक्ट्री स्थापित करने के लिए कीर्ति नगर में जमीन खरीदी, जहां उन्होंने एमडीएच मसालों के साम्राज्य यानि महाशियां दी हट्टी लिमिटेड की स्थापना की, जिसका अर्थ है “एक महानुभाव आदमी की दुकान” पंजाबी में।
एमडीएच दुकान, करोल बाग दिल्ली में
एमडीएच स्विट्ज़रलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, कनाड़ा, यूरोपीय देशों, इत्यादि में मसालों का निर्यात करता है।
वर्तमान में, एमडीएच भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में मसालों की श्रेणी में सबसे बड़े ब्रांडों में से एक के रूप में उभरा है, जिसका 90 साल की उम्र पार करने के बाद भी धर्मपाल गुलाटी स्वयं एमडीएच उत्पादों का विज्ञापन करते रहे।
एमडीएच 50 से भी अधिक विभिन्न उत्पादों को बेचता है।
उनके द्वारा “महाशय चुन्नीलाल चैरिटेबल ट्रस्ट” शुरू की गई थी, जिसके अंतर्गत 250 बिस्तरों वाला एक अस्पताल और झोपड़पट्टी के निवासियों के लिए एक मोबाइल अस्पताल चलाया जा रहा है। इसके अलावा ट्रस्ट दिल्ली में 4 स्कूल भी चलाता है। इस ट्रस्ट के द्वारा वित्तीय सहायता भी सामाजिक संगठनों को दी जाती है।
एमडीएच संदेश पत्रिका भी चलाता है, जो भारत के पारंपरिक पारिवारिक मूल्यों को प्रदर्शित करता है।
संदेश पत्रिका
वह अपनी सेहत के प्रति काफी सजग रहते थे, जिसके चलते वह सुबह 5 बजे योगा किया करते थे।
महाशय धर्मपाल गुलाटी कसरत करते हुए
उन्होंने अपनी आत्मकथा में अपने बचपन से लेकर सफलता के पीछे के रहस्य का खुलासा किया है।
महाशय गुलाटी की आत्मकथा
महाशय गुलाटी के जीवन परिचय को विस्तार से जानने के लिए देखिए ये वीडियो :
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