Lal Bahadur Shastri Biography in Hindi | लाल बहादुर शास्त्री जीवन परिचय | StarsUnfolded - हिंदी
Lal Bahadur Shastri Biography in Hindi | लाल बहादुर शास्त्री जीवन परिचय | StarsUnfolded - हिंदी
जीवन परिचय | |
---|---|
वास्तविक नाम | लाल बहादुर शास्त्री |
उपनाम | शांति दूत, शास्त्री, नन्हे |
व्यवसाय | शिक्षक, समाजिक कार्यकर्ता, राजनीतिज्ञ |
शारीरिक संरचना | |
लम्बाई | से० मी०- 154 मी०- 1.54 फीट इन्च- 5’ 1” |
आँखों का रंग | काला |
बालों का रंग | धूसर |
राजनीति | |
राजनीतिक पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ![]() |
राजनीतिक यात्रा | 1928: महात्मा गांधी के आह्वान पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए। 1929: इलाहाबाद जिला कांग्रेस कमेटी के सचिव बने। 1935-37: यूपी प्रांतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में चुने गए। 1937: यूपी विधानसभा के सद्स्य के रूप में चुने गए और यूपी संसदीय बोर्ड के आयोजन सचिव बने। 1947: उत्तर प्रदेश विधानसभा के संसदीय सचिव बने और 15 अगस्त को तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत ने उन्हें पुलिस और परिवहन मंत्री नियुक्त किया। 1951: तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की अगुवाई में उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया। 1952: Soraon उत्तर सह-फुलपुर पश्चिम सीट से एक विधायक बने और 13 मई को, भारत गणराज्य के पहले रेल मंत्री बने। 1957: पंडित जवाहर लाल नेहरू ने फिर से लाल बहादुर शास्त्री को मंत्रिमंडल में परिवहन और संचार मंत्री के रूप में नियुक्त किया। 1958: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के प्रभारी के रूप में नियुक्त किया गया। 1961: पंडित जीबी पंत की मृत्यु के बाद वह गृह मंत्री बने। 1964: 9 जून को, वह भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने और वर्ष 1966 तक कार्य किया। |
लाल बहादुर शास्त्री के प्रमुख कथन | • लोगों को सच्चा लोकतंत्र और स्वराज कभी भी हिंसा और असत्य से प्राप्त नहीं हो सकता। • कानून का सम्मान किया जाना चाहिए, ताकि हमारे लोकतंत्र की बुनियादी संरचना बरकरार रहे। • यदि कोई भी व्यक्ति ऐसा रह गया, जिसे किसी रूप में अछूत कहा जाता है, तो भारत को अपना सर शर्म से झुकाना पड़ेगा। • हमारी ताकत और स्थिरता के लिए हमारे सामने ज़रूरी काम है, लोगों में एकता और एकजुटता स्थापित करना। • "जय जवान, जय किसान" |
लाल बहादुर शास्त्री के नाम पर स्थान / संस्थाएं | • लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (मसूरी, उत्तराखंड)। • शास्त्री इंडो-कनाडाई संस्थान का नाम शास्त्री जी के नाम पर रखा गया था, क्योंकि भारत और कनाडा के बीच विद्वानों की गतिविधियों के विकास में उनकी प्रमुख भूमिका थी। • लाल बहादुर शास्त्री जी की 45 वीं पुण्यतिथि पर, वर्ष 2011 में, उत्तर प्रदेश सरकार ने वाराणसी के रामनगर में शास्त्री के पूर्वजों के घर का पुनर्निर्माण करने की घोषणा की और इसे एक जीवनी संग्रहालय में बदलने की घोषणा की। • वाराणसी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा • उज्बेकिस्तान के ताशकंद में, उनके नाम से एक स्मारक स्थापित किया गया, जिसे भारतीय संस्कृति का केंद्र माना जाता है और उसके बाद उनके नाम पर एक सड़क का नाम रखा गया। • उत्तरी कर्नाटक में स्थित, कृष्णा नदी पर बनाया गया अल्माट्टी बांध का नाम बदलकर लाल बहादुर शास्त्री सागर रखा गया। जिसके नींव का पत्थर उनके द्वारा ही रखा गया था। • आरबीआई द्वारा उनके जन्म दिवस की वर्षगांठ पर ₹5 का सिक्का जारी किया गया। • वर्ष 1991 से, हर वर्ष अखिल भारतीय लाल बहादुर शास्त्री हॉकी टूर्नामेंट को आयोजित किया जा रहा है। • शास्त्री जी की प्रतिमाएं विभिन्न शहरों में स्थापित की गई हैं जैसे कि - मुंबई, बैंगलोर (विद्या सऊधा), नई दिल्ली (सीजीओ परिसर), अल्माट्टी बांध स्थल, रामनगर-यूपी, हिसार, विजागापतिनम, नागार्जुन बांध स्थल, वारंगल, इत्यादि। • शास्त्री जी की अर्ध -प्रतिमाएं (busts) विभिन्न शहरों में स्थापित की गई हैं जैसे कि - तिरुवनंतपुरम, पुणे, वाराणसी (हवाई अड्डे), अहमदाबाद (लेकसाइड), कुरुक्षेत्र, शिमला, कासरगोड, इंदौर, जलंधर, महोदय, उरण, इत्यादि। • हिमाचल प्रदेश मंडी में लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज। • नई दिल्ली, चेन्नई, लखनऊ, इत्यादि में शास्त्री भवन। |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 2 अक्टूबर 1904 |
जन्मस्थान | मुगलसराय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु तिथि | 11 जनवरी 1966 |
मृत्यु स्थल | ताशकंद (वर्तमान में उजबेकिस्तान में) |
आयु (मृत्यु के समय) | 61 वर्ष |
मृत्यु का कारण | ज्ञात नहीं एक अन्य स्रोत के अनुसार: उनकी मृत्यु के पीछे षड्यंत्र रचा गया था। विभिन्न स्रोतों के अनुसार: हृदयाघात से मृत्यु (दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु) |
समाधि स्थल | विजय घाट, नई दिल्ली |
राशि | तुला |
हस्ताक्षर | ![]() |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | मुगलसराय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
स्कूल/विद्यालय | श्री हरीश चंद्र इंटरमीडिएट कॉलेज ![]() |
महाविद्यालय/विश्वविद्यालय | महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी ![]() |
शैक्षिक योग्यता | प्रथम श्रेणी से कला में स्नातक |
परिवार | पिता - शारदा प्रसाद श्रीवास्तव (एक स्कूल शिक्षक) ![]() माता- रामदुलारी देवी (गृहणी) ![]() भाई- कोई नहीं बहन- कैलाशी देवी, सुंदरी देवी |
धर्म | हिन्दू |
जाति | कायस्थ |
पता | 10 जनपथ, नई दिल्ली |
पुरस्कार/सम्मान | वर्ष 1966 में, उन्हें भारत सरकार द्वारा मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। ![]() |
शौक/अभिरुचि | पुस्तकें पढ़ना |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
वैवाहिक स्थिति (मृत्यु के समय) | विवाहित |
विवाह तिथि | 16 मई 1928 |
पत्नी | ललिता देवी (1928-1966) ![]() |
बच्चे | बेटे : हरि कृष्ण शास्त्री, अनिल शास्त्री (राजनीतिज्ञ: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस), सुनील शास्त्री (राजनीतिज्ञ: बीजेपी), अशोक शास्त्री बेटी : कुसुम शास्त्री, सुमन शास्त्री ![]() |
लाल बहादुर शास्त्री से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ
क्या लाल बहादुर शास्त्री धूम्रपान करते थे ?: नहीं
क्या लाल बहादुर शास्त्री शराब पीते थे ?: नहीं
उनका जन्मदिन महात्मा गांधी जी के जन्मदिन (2 अक्टूबर ) के साथ साझा होता है।
जब वह दो वर्ष के थे, तब उनके पिता का बुबोनिक प्लेग से निधन हो गया था। जिसके बाद उनका पालन-पोषण उनकी दो बहनों और माँ के द्वारा उनके नाना हजारी लाल के घर हुआ।
लाल बहादुर शास्त्री के नाना-नानी
बचपन से ही उन्होंने स्वयं में नैतिकता, ईमानदारी, सादगी के गुणों को विकसित किया।
वह तत्कालीन जाति-व्यवस्था के खिलाफ थे, इसके चलते उन्होंने अपने उपनाम से “श्रीवास्तव” हटा दिया।
वर्ष 1925 में, वाराणसी के काशी विद्यापीठ से स्नातक करने के बाद, उन्हें एक विद्वान व्यक्ति का उपनाम “शास्त्री” मिला।
युवा शास्त्री स्वामी विवेकानंद, गांधीजी, एनी बेसेंट, इत्यादि के कार्यों और देशभक्ति से काफी प्रभावित हुए थे।
जे. बी. कृपालनी और उनके एक मित्र वी. एन. शर्मा ने युवा कार्यकर्ताओं को शिक्षित करने के लिए एक असंगठित विद्यालय की स्थापना की, जो कि “राष्ट्रवादी शिक्षा” पर केंद्रित था। शास्त्री जी उनके संस्थान से काफी प्रभावित हुए और उसमें शामिल हो गए।
सत्रह वर्ष की आयु में, असहयोग आंदोलन में भाग लेने के कारण वह पहली बार जेल गए।
वर्ष 1928 में, उन्होंने गणेश प्रसाद की सबसे छोटी बेटी ललिता देवी से विवाह किया। चूंकि वह दहेज प्रणाली के खिलाफ थे, इसलिए उन्होंने दहेज स्वीकार करने करने से इंकार कर दिया और अपने ससुर के द्वारा लगातार दहेज के लिए मजबूर करने के बाद केवल पांच गज का खादी (एक प्रकार का कपास, आमतौर पर हैंडपुन) कपड़ा स्वीकार किया।
उन्हें ललिता शास्त्री से छ: सन्तानें प्राप्त हुईं।
लाल बहादुर शास्त्री अपने परिवार के साथ
वह सर्वेंट ऑफ़ द पीपल्स सोसाइटी (लाला लाजपत राय द्वारा स्थापित) में शामिल हुए और मुजफ्फरपुर में गांधी जी दिशा-निर्देशों के अनुसार हरिजनों के उत्थान के लिए कार्य करने लगे। जिसके बाद वह दलित समाज के अध्यक्ष बन गए।
वर्ष 1928 में, वह कांग्रेस के एक सक्रिय सदस्य बने और वर्ष 1930 में दांडी मार्च में भाग लेने कारण ढाई साल तक जेल में रहे।
वर्ष 1940 में, स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्होंने व्यक्तिगत रूप से सत्याग्रह का समर्थन किया, जिसके लिए उन्हें एक वर्ष का कारावास भुगतना पड़ा।
8 अगस्त 1942 को गांधी जी ने “भारत छोड़ो आंदोलन” पर एक भाषण दिया, तभी शास्त्री जी जेल से बाहर आए थे और आते ही उन्होंने नेहरू जी के घर पर स्वतंत्रता आंदोलन के कार्यकर्ताओं को “भारत छोड़ो आंदोलन” के दिशा-निर्देश दिए। जिसके कारण उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया और वर्ष 1946 तक जेल में ही रहना पड़ा।
शास्त्री जी ने अपने जीवन के कुल 9 वर्ष जेल में बिताए।
लाल बहादुर शास्त्री को आंदोलन के दौरान इस जेल में रखा जाता था
भारत की आजादी के तुरंत बाद शास्त्री जी को अपने गृह राज्य, उत्तर प्रदेश का संसदीय सचिव नियुक्त किया गया।
उत्तर प्रदेश राज्य के पुलिस और परिवहन मंत्री होने के नाते, महिलाओं को कंडक्टर बनाने की अनुमति देने वाले वह पहले व्यक्ति थे। भीड़ नियंत्रण करने के लिए लाठीचार्ज के बजाय वॉटर केनन का इस्तेमाल करने की शुरुआत करने वाले वह पहले व्यक्ति थे।
वर्ष 1951 में, उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में चुना गया, जब जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री थे। महासचिव के रूप में उन्हें चुनाव से संबंधित सभी जिम्मेदारियां सौंपी गईं।
उन्होंने वर्ष 1952, 1957 और 1962 के आम चुनावों में कांग्रेस पार्टी की सफलताओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
13 मई 1952 को, भारतीय गणराज्य के पहले कैबिनेट में शास्त्री जी रेल मंत्री के रूप में नियुक्त किए गए।
लाल बहादुर शास्त्री जी रेल मंत्री के रूप में
27 मई 1964 को जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद शास्त्री जी को 9 जून 1964 को प्रधानमंत्री बनाया गया। वह भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे।
11 जून 1964 को उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप शपथ ग्रहण की।
वर्ष 1965 में, भारत-पाक युद्ध के दौरान भारत की विजय में शास्त्री जी ने महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
पंडित लाल बहादुर शास्त्री सेना के साथ
उन्होंने युद्ध के दौरान “जय जवान जय किसान” नारा दिया; जब देश खाद्य की कमी की समस्याओं का सामना भी कर रहा था।
मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित होने वाले वह पहले व्यक्ति थे।
उनके कार्यों की पूरी दुनिया में प्रशंसा की गई। वह अपनी जिंदगी को सरलता, सादगी और सच्चाई के साथ जीते थे।
ताशकन्द घोषणापत्र को मंजूरी मिलने के एक दिन बाद शाम को 02:00 बजे दिल का दौरा पड़ने के कारण उनका देहांत हो गया था, लेकिन सूत्रों के मुताबिक अभी तक उनकी मृत्यु के कारणों की पुष्टि नहीं हो पाई है। वह भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं जिनकी मृत्यु विदेश में हुई।
लाल बहादुर शास्त्री मृत्यु के समय
उन्हें राष्ट्रीय नायक के रूप में संबोधित किया जाता है और यही नहीं उनकी स्मृति में एक स्मारक “विजय घाट” की स्थापना की गई।
लाल बहादुर शास्त्री विजय घाट स्थल
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