L. K. Advani Biography in Hindi | लालकृष्ण आडवाणी जीवन परिचय | StarsUnfolded - हिंदी
L. K. Advani Biography in Hindi | लालकृष्ण आडवाणी जीवन परिचय | StarsUnfolded - हिंदी
जीवन परिचय | |
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पूरा नाम | लालकृष्ण आडवाणी [1]Twitter |
व्यवसाय | भारतीय राजनेता |
शारीरिक संरचना | |
लम्बाई (लगभग) | से० मी०- 173 मी०- 1.73 फीट इन्च- 5’ 8” |
भार/वजन (लगभग) | 85 कि० ग्रा० |
आँखों का रंग | काला |
बालों का रंग | सफेद |
राजनीति करियर | |
पार्टी/दल | भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ![]() |
राजनीतिक यात्रा | • आडवाणी बहुत कम उम्र में आरएसएस में शामिल हो गए और जल्द ही वह आरएसएस कार्यकर्ता बन गए। • वर्ष 1955 में आडवाणी को भारतीय जनसंघ से जोड़ा गया जो एक भारतीय राष्ट्रवादी राजनीतिक दल था, जिसकी स्थापना श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने की थी और 1951 से 1977 तक चली थी। • आडवाणी 6 साल के लिए (1970 से 76) तक दिल्ली से राज्यसभा सदस्य चुने गए थे। • 1973 की बात है जब आडवाणी को पार्टी में विभिन्न पदों पर नियुक्त किया गया था। • इसके बाद वह 1976 में गुजरात से राज्यसभा सदस्य बने और 1982 में छह साल का अपना कार्यकाल पूरा किया। • आपातकाल के बाद जनसंघ और कुछ अन्य राजनीतिक दलों का जनता पार्टी में विलय हो गया। • 1977 में जनता पार्टी से आडवाणी ने लोकसभा चुनाव लड़ा। • जनसंघ के कुछ पूर्व सदस्यों ने जनता पार्टी छोड़ दी और एक नई राजनीतिक पार्टी बनाई भाजपा, जिसमे आडवाणी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और मध्य प्रदेश से राज्यसभा में पार्टी का प्रतिनिधित्व किया, जो 1982 में शुरू हुआ और लगातार दो बार इस पद पर रहे। • फिर उन्हें 1986 में भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया और 1991 तक इस पद पर बने रहे। • वर्ष 1989 में वह लोकसभा सदस्य बने, उस समय जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को भाजपा का हाथ थामना पड़ा, जिसके पास सरकार बनाने के लिए 86 सीटें थीं। • वर्ष 1991 में आडवाणी दोबारा से लोकसभा सदस्य बने, जहां आम चुनावों ने भाजपा को बढ़ावा दिया और उन्हें कांग्रेस के बाद दूसरी सबसे बड़ी सीटें मिलीं। • वर्ष 1993 में उन्हें दोबारा से भाजपा अध्यक्ष के रूप में चुना गया और उन्होंने 1998 तक इस पद पर कार्य किया। • लालकृष्ण आडवाणी ने 1998 में केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में शपथ ली थी, लेकिन वह इस पद पर ज्यादा दिन बने नहीं रह सके क्योंकि सरकार केवल 13 महीनों में ही भंग हो गई थी। • वर्ष 1999 में वह दोबारा से भारत के गृह मंत्री बने और इस बार सरकार 5 साल तक चली। यह पहला मौका था जब किसी गैर-कांग्रेसी सरकार ने पूरा कार्यकाल पूरा किया। • 2002 से 2004 तक उन्होंने भारत के उप प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। • वह 2004 में दोबारा से लोकसभा के लिए चुने गए लेकिन इस बार विपक्ष के रूप में। • वर्ष 2009 में वह छठी बार लोकसभा सदस्य बने। • दिसंबर 2009 में आडवाणी विरासत चरित्र के रखरखाव और संसद भवन परिसर के विकास पर संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य बने। • लगभग सभी को आश्चर्यचकित करते हुए, उन्होंने 2013 में अपने प्रत्येक पद से इस्तीफा दे दिया। • उन्हें 2014 में दोबारा से लोकसभा सदस्य के रूप में चुना गया था। |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 8 नवंबर 1927 (मंगलवार) |
आयु (2021 के अनुसार) | 94 वर्ष |
जन्म स्थान | कराची, बॉम्बे प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत (जो अब सिंध, पाकिस्तान में है) |
राशि | वृश्चिक (Scorpio) |
हस्ताक्षर | ![]() |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | हिन्दू सिंधी [2]Firstpost |
जाति | ब्राह्मण [3]Firstpost |
गृहनगर | कराची |
स्कूल/विद्यालय | सेंट पैट्रिक हाई स्कूल, कराची |
कॉलेज/विश्वविद्यालय | • डी जी नेशनल कॉलेज, हैदराबाद, सिंधी • गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, मुंबई |
शैक्षिक योग्यता | गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, मुंबई से एलएलबी 1942 [4]MyNeta |
शौक/अभिरुचि | यात्रा करना, योगा करना, पढ़ना, और फिल्में देखना |
पता | 1835/16 कस्तूरी ब्लॉक, दीनदयाल भवन, जेपी चौक, खानपुर, अहमदाबाद [5]MyNeta |
विवाद | • जैन हवाला डायरी में आरोप लगने के बाद 1996 में आडवाणी को लोकसभा सदस्य के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। बताया जा रहा है कि आडवाणी उनसे पैसे लिए थे। • वर्ष 1992 में उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के आरोपियों में उनका नाम सामने आया था। 1992 में दर्ज किए गए कुल 49 मामलों में, दूसरे मामले, प्राथमिकी संख्या 198 में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती का नाम लिया गया था, उन पर धार्मिक दुश्मनी को बढ़ावा देने और दंगा भड़काने का आरोप लगाया गया था। बाद में 1993 में सीबीआई ने लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह और शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे सहित 48 लोगों के खिलाफ एकल समेकित आरोप पत्र दायर किया। लेकिन 30 सितंबर 2020 को 28 साल बाद लखनऊ में एक विशेष सीबीआई अदालत ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया। जिनमें भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती शामिल थे। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद, हजारों "कार सेवकों" द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था, जो मानते थे कि मस्जिद को एक प्राचीन मंदिर के खंडहर पर बनाया गया था जो भगवान राम के जन्मस्थान को चिह्नित करता था। 9 नवंबर 2019 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की विशेष बेंच ने सर्वसम्मति से आयोध्या राम मंदिर निर्माण का फैसला सुनाया। [6]Aaj Tak |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
वैवाहिक स्थिति | विदुर |
विवाह तिथि | 25 फरवरी 1965 (मंगलवार) |
परिवार | |
पत्नी | स्वर्गीय कमला आडवाणी ![]() |
बच्चे | बेटा - जयंत आडवाणी ![]() बेटी- प्रतिभा आडवाणी (भारतीय टाल्क शो होस्ट) ![]() |
माता/पिता | पिता- स्वर्गीय किशनचंद डी आडवाणी माता- ज्ञानी देवी |
पसंदीदा चीजें | |
राजनेता | श्यामा प्रसाद मुखर्जी और अटल बिहारी वाजपेयी |
नेता | मोहनदास करमचंद गांधी और स्वामी विवेकानंद |
कॉफी | स्टारबक्स कॉफी ![]() |
धन/संपत्ति संबंधित विवरण |
लालकृष्ण आडवाणी से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ
लालकृष्ण आडवाणी एक भारतीय राजनेता हैं जिन्हे अटल बिहारी वाजपेयी के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता के रूप में जाना जाता है।
लालकृष्ण आडवाणी का जन्म पाकिस्तान के करांची के एक सिंधी परिवार में हुआ था। उनके पिता के. डी. आडवाणी और माता ज्ञानी आडवाणी ने भारत और पाकिस्तान विभाजन के बाद भारत आ गए थे।
उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई पाकिस्तान के लाहौर से की। भारत आने के बाद उन्होंने मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से कानून में स्नातक किया।
वर्ष 1942 में आडवाणी आरएसएस के सदस्य बने। महात्मा गांधी के बाद वह दूसरे जननायक हैं जिन्होंने हिन्दू आंदोलन का नेतृत्व किया और पहली बार बीजेपी की सरकार बनावाई।
जब 1986 में उन्हें पार्टी अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया था। उन्हें अपने राजनीति के शुरुआत में बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा। क्योंकि उनके पास लोकसभा सदस्य के रूप में केवल 2 नेता थे। कांग्रेस पार्टी ने इंदिरा गांधी की हत्या के बाद आम चुनावों में हर तरह से जीत हासिल कर रहे थे।
वर्ष 1951 में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बाद आडवाणी 1957 तक जनसंघ पार्टी के सचिव रहे। आडवाणी ने वर्ष 1973 से 1977 तक भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष का दायित्व संभाला।
भारतीय जनता पार्टी को मजबूत करने में अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की अहम भूमिका रही है। दोनों ने दिल्ली से निकलकर पूरे देश में गांव-गांव तक जाकर पार्टी को मजबूती दी।
वर्ष 1990 में आडवाणी ने अयोध्या में राम मंदिर के मुद्दे पर अपनी पहली रथ यात्रा शुरू की। इस रथ यात्रा में नरेंद्र मोदी भी शामिल थे। इसे राम रथ यात्रा का नाम दिया गया। हालांकि 23 अक्टूबर 1990 को बिहार के समस्तीपुर में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के आदेश पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। इस यात्रा के बाद आडवाणी का राजनीतिक सफर और बड़ा हो गया।
जिसके बाद वर्ष 1991 के आम चुनावों में इस यात्रा ने एक नया मोड़ दिया। इसके बाद उन्हें 1986 से 1991 तक पार्टी के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया।
वर्ष 1990 में राम रथ यात्रा के बाद आडवाणी की लोकप्रियता लोगों के बीच और भी बढ़ गई।
वर्ष 1992 में बाबरी बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जिन लोगों के नाम एफआईआर दर्ज किया गया था उनमे से एक नाम लालकृष्ण आडवाणी का भी शामिल था।
केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में उनके लिए सबसे कठिन समय था क्योंकि उस समय भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के कारण भारत कई परेशानियों का सामना कर रहा था।
जिसके बाद उन्होंने पूरे भारत में एक मिनी बस से केवल 33 दिनों में 7872 किमी की यात्रा पूरी की। उनका कहना है कि वॉकिंग ही उनकी फिटनेस का राज है। वह बिना किसी तनाव के हर सुबह एक घंटे की यात्रा करते हैं।
लगातार तीन बार आडवाणी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद पर कार्यरत रहे। आडवाणी को चार बार राज्यसभा के लिए और पांच बार लोकसभा के लिए चुना गया था।
लालकृष्ण आडवाणी ने वर्ष 1998 से 2004 तक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी की सरकार में गृह मंत्री के रूप काम किया।
वर्ष 1999 में एनडीए की सरकार बनने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी के नेत़ृत्व में वह केंद्रीय गृहमंत्री बने और साथ ही उन्हें इसी सरकार में 29 जून 2002 को उप प्रधानमंत्री पद का कार्यभार सौंपा गया।
वर्ष 2008 में पूर्व राष्ट्रपति डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम द्वारा प्रकाशित उनकी आत्मकथा ‘माई कंट्री माई लाइफ’ की 1 मिलियन (10 लाख) से अधिक प्रतियों की रिकॉर्ड बिक्री हुई है।
दिसंबर 2009 में आडवाणी विरासत चरित्र के रखरखाव और संसद भवन परिसर के विकास पर संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य बने।
लालकृष्ण आडवाणी अपने साशन काल में अच्छे कार्यों के लिए कभी सराहे गए तो कभी पुरस्कृत किए गए।
वर्ष 2013 में लालकृष्ण आडवाणी ने लगभग सभी को आश्चर्यचकित करते हुए अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। लेकिन वर्ष 2014 में उन्हें दोबारा से लोकसभा सदस्य के रूप में चुना गया।
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