Kishore Kumar Biography in Hindi | किशोर कुमार जीवन परिचय | StarsUnfolded - हिंदी
Kishore Kumar Biography in Hindi | किशोर कुमार जीवन परिचय | StarsUnfolded - हिंदी
जीवन परिचय | |
---|---|
वास्तविक नाम | आभास कुमार गांगुली |
उपनाम | किशोर दा |
व्यवसाय | पार्श्वगायक, अभिनेता, संगीतकार, गीतकार, निर्देशक, निर्माता और पटकथा लेखक |
शारीरिक संरचना | |
लम्बाई (लगभग) | से० मी०- 173 मी०- 1.73 फीट इन्च- 5’ 8” |
वजन/भार (लगभग) | 75 कि० ग्रा० |
आँखों का रंग | काला |
बालों का रंग | काला |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 4 अगस्त 1929 |
मृत्यु तिथि | 13 अक्टूबर 1987 |
आयु (13 अक्टूबर 1987 के अनुसार) | 58 वर्ष |
जन्मस्थान | खंडवा, केंद्रीय प्रांत (अब मध्य प्रदेश), ब्रिटिश भारत |
मृत्यु स्थान | बॉम्बे (अब मुंबई), महाराष्ट्र, भारत |
मृत्यु का कारण | दिल का दौरा |
राशि | सिंह |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
हस्ताक्षर | ![]() |
गृहनगर | खंडवा मध्य प्रांत (अब मध्य प्रदेश), ब्रिटिश भारत |
स्कूल/विद्यालय | ज्ञात नहीं |
महाविद्यालय/विश्वविद्यालय | क्रिस्चियन कॉलेज, इंदौर |
शैक्षिक योग्यता | स्नातक |
डेब्यू | फिल्म (अभिनेता)- शिकारी (1946) ![]() पार्श्व गायक- मरने की दुआएं क्यों मांगू (ज़िद्दी 1948) ![]() |
परिवार | पिता - कुंजलाल गांगुली (गंगोपाध्याय) वकील माता- गौरी देवी भाई- अशोक कुमार (अभिनेता), अनूप कुमार (अभिनेता) बहन- सती देवी ![]() |
धर्म | हिन्दू |
शौक/अभिरुचि | उपन्यास पढ़ना,गाड़ी चलाना, टेबल टेनिस खेलना |
विवाद | • 1980 दशक के मध्य में, उनके अमिताभ बच्चन के साथ कटु-संबंध स्थापित हो गए, क्योंकि अमिताभ ने किशोर कुमार की प्रोडक्शन कंपनी के तहत बनने वाली फिल्म "ममता की छाओं में" अतिथि की भूमिका निभाने से इनकार कर दिया। किशोर कुमार ने अमिताभ बच्चन के लिए गीत गाने बंद कर दिए। हालांकि, कुछ साल बाद किशोर ने अमिताभ की फिल्म "तूफ़ान" में ' आया आया तूफ़ान' गीत गया। • उनकी तीसरी पत्नी योगीता बाली ने उनसे तलाक ले लिया, और मिथुन चक्रवर्ती के साथ शादी कर ली। इसके बाद किशोर ने मिथुन चक्रवर्ती के लिए गीत गाने बंद कर दिए। हालांकि उन्होंने मिथुन चक्रवर्ती के लिए लंबे समय तक गीत नहीं गया लेकिन बाद में मिथुन चक्रवर्ती की फिल्म सुरक्षा (1979) और उनकी हिट फिल्म डिस्को डांसर, फरेब (1983), वक़्त की आवाज़ (1988) के लिए गीत गया। • भारतीय आपातकाल (1975-1977) के दौरान, जब संजय गांधी ने मुंबई में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस) रैली के लिए गायन करने के लिए किशोर कुमार से संपर्क किया,तो उन्होंने इस प्रस्ताव से इनकार कर दिया। नतीजतन, तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने किशोर कुमार के गाने को दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो पर प्रसारित करने का प्रतिबंध लगा दिया। यह प्रतिबंध 4 मई 1976 से आपातकाल के अंत तक लगा रहा। • 1960 के दशक में, वह शूटिंग में देर से आने के लिए सुखियत थे। वह शूटिंग बीच में ही छोड़ कर चले जाने के लिए भी जाने जाते थे, लगातार फ्लॉप होती फिल्मों की वजह से वो इनकम टैक्स के जाल में फास गए। |
पसंदीदा चीजें | |
पसंदीदा अभिनेता | अशोक कुमार, अमिताभ बच्चन , राजेश खन्ना |
पसंदीदा अभिनेत्री | मधुबाला |
पसंदीदा संगीतकार | एस डी बर्मन, आर डी बर्मन |
पसंदीदा गायक | के. एल. सहगल |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां |
|
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
विवाह तिथि | मार्च 1973 |
गर्लफ्रेंड व अन्य मामले | रुमा गुहा ठाकुरता (बंगाली अभिनेत्री और गायक) मधुबाला (बॉलीवुड अभिनेत्री) योगीता बाली (बॉलीवुड अभिनेत्री) लीना चन्दावरकर (बॉलीवुड अभिनेत्री) |
पत्नी | रुमा गुहा ठाकुरता (1950-1958) मधुबाला (1960-1969) योगीता बाली (1975-19 78) लीना चन्दावरकर (1 980-1987, उनकी मृत्यु) ![]() |
बच्चे | बेटा- अमित कुमार, गायक (रुमा गुहा ठाकुरटा से), सुमित कुमार, गायक (लीना चन्दावरकर से) ![]() बेटी- कोई नहीं |
वेतन | 35000 रुपये/गीत (1960-1970) |
नेट वर्थ | 60 करोड़ रुपये (1980 में) |
किशोर कुमार से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ
क्या किशोर कुमार धूम्रपान करते थे? ज्ञात नहीं
क्या किशोर कुमार शराब पीते थे? ज्ञात नहीं
उनका जन्म बांग्ला परिवार में आभास कुमार गांगुली के रूप में हुआ था।
उनके पिता, कुंजलाल गांगुली (गंगोपाध्याय) एक वकील थे, जबकि उनकी मां, गौरी देवी एक अमीर बांग्ला परिवार से थीं।
खंडवा के कमाविसदार गोखले परिवार ने उनके पिता, गंगोपाध्याय को अपने निजी वकील के रूप में आमंत्रित किया था।
किशोर अपने बहन-भाइयों में सबसे छोटे (2 भाइयों और 1 बहन) थे।
जब किशोर कुमार अपने बालावस्था में थे तब उनके बड़े भाई अशोक कुमार बॉलीवुड के एक स्थापित अभिनेता बन चुके थे।
बाद में अशोक कुमार की मदद से उनके बड़े भाई अनूप कुमार भी फिल्मों में अभिनय करने लगे।
अपने भाइयों की संगत की वजह से किशोर कुमार की रूचि भी फिल्मों और संगीत की तरफ हो गई।
किशोर कुमार प्रसिद्ध गायक के. एल. सहगल के बहुत बड़े प्रशंसक थे, और उनकी गायन शैली का अनुकरण किया करते थे। एक साक्षात्कार के दौरान किशोर कुमार ने यह खुलासा किया कि वह के. एल. सहगल को अपना ‘गुरु’ मानते है।
बॉम्बे (अब मुंबई) की यात्रा के बाद, आभास कुमार ने अपना नाम बदलकर ‘किशोर कुमार’ रख लिया, और “बॉम्बे टॉकीज़” में एक सह कलाकार के रूप में अपना कैरियर शुरू किया, जहां उनके बड़े भाई अशोक कुमार कार्य किया करते थे।
संगीत निर्देशक खेमचंद्र प्रकाश ने उन्हें फिल्म ‘जिद्दी (1948)’ में एक गीत “मरने की दुआएं क्यों मांगू” गाने का मौका दिया।
फिल्म जिद्दी में अपने पहले गीत के बाद, उन्हें कई अन्य गीतों की पेशकश की गई थी हालांकि, उस समय वह फ़िल्मी कैरियर के लिए गंभीर नहीं थे।
वर्ष 1949 में, किशोर कुमार बॉम्बे (अब मुंबई) में रहने लग गए थे।
फानी मजूमदार द्वारा निर्देशित एक फिल्म ‘आंदोलन’ (1951) में किशोर कुमार एक हीरो के रूप में दिखाई दिए।
उनके बड़े भाई अशोक कुमार चाहते थे कि वह एक अभिनेता बनें। हालांकि, किशोर कुमार एक गायक बनने में अधिक रुचि रखते थे।
किशोर कुमार की गायन प्रतिभा का श्रेय सुखियत संगीत निर्देशक एस डी बर्मन को जाता हैं। वर्ष 1950 में, फिल्म ‘मशाल’ बनाने के दौरान एस डी बर्मन ने अशोक कुमार के घर का दौरा किया और किशोर कुमार को के. एल. सहगल जैसा बनाने की बजाय अपनी स्वयं की गायन शैली विकसित करने का सुझाव दिया।
उन्होंने ऋषिकेश मुखर्जी के द्वारा निर्देशित, उनकी पहली फिल्म “मुसाफिर” (1957) में भी अभिनय किया।
फिल्म “नौकरी” (1954) के लिए संगीत निर्देशक सलिल चौधरी ने शुरू में किशोर कुमार को एक गायक के रूप में खारिज कर दिया था, जब उन्हें पता लगा की किशोर कुमार ने संगीत में कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं लिया था। हालांकि, उनकी आवाज सुनने के बाद सलिल चौधरी ने किशोर कुमार को गीत ‘छोटा सा घर होगा’ गाने का मौका दिया, जो कि पहले हेमंत कुमार को गाना था।
एक अभिनेता के रूप में किशोर कुमार ने कई हिट फिल्मों में प्रदर्शन किया, जैसे कि – ‘चलती का नाम गाड़ी’ (1958), ‘हाफ़ टिकट’ (1962), ‘ पड़ोसन’ (1968), आदि।
फिल्म ‘चलती का नाम गाड़ी’ (1958) होम प्रोडक्शन थी। जिसमें तीनों गांगुली भाइयों और मधुबाला ने मुख्य भूमिकायें निभाई थी।
संगीत निर्देशक सलिल चौधरी चाहते थे कि लता मंगेशकर और किशोर कुमार फिल्म ‘हाफ टिकट’ (1962) में एक गीत ‘आके सीधी लगी दिल पे’ दोनों साथ में गाए। हालांकि, लता की अनुपलब्धता के कारण, किशोर कुमार को गीत में पुरुष और महिला दोनों संस्करणों में गाना पड़ा। यह गीत किशोर कुमार और प्राण के ऊपर फिल्माया गया था, जिसमें किशोर कुमार ने एक महिला का अभिनय किया था।
किशोर कुमार अपनी ‘योडलिंग’ गायन की शैली के लिए प्रसिद्ध थे, जिसे उन्होंने जिम्मी रोड़गेर्स और टेक्स मोर्टों (Jimmie Rodgers and Tex Morton) के रिकॉर्ड से सीखा था।
प्रसिद्ध संगीत निर्देशक आर. डी बर्मन और किशोर कुमार दोनों के बीच अच्छा अनुबंध था, और दोनों ने साथ-साथ में कई हिट फिल्मों कीं, जैसे कि- टैक्सी ड्राइवर (1954), फंटूश (1956), पेइंग गेस्ट (1957), गाइड (1965), ज्वेल थीफ (1967), प्रेम पुजारी (1970), आदि।
किशोर कुमार और आशा भोसले ने एक साथ आर. डी. बर्मन द्वारा लिखे कई गीत गाये है, जैसे कि – ‘छोड़ दो आँचल’ फिल्म पेइंग गेस्ट (1957), ‘हाल कैसा है जनाब का’ और ‘पांच रुपैया बारह आना’ फिल्म ‘चलती का नाम गाड़ी’ (1958), आदि।
फिल्म झुमरू (1961) का निर्माण और निर्देशन किशोर कुमार ने किया था। उन्होंने फिल्म में खुद संगीत लिखा और उसमे अभिनय भी किया। किशोर कुमार ने फिल्म का शीर्षक गीत ‘मैं हूँ झुमरू’ भी लिखा था।
किशोर कुमार ने वर्ष 1964 में, फिल्म ‘दूर गगन की छाँव में’ का निर्माण और निर्देशन किया था। उन्होंने फिल्म की संगीत रचना भी की और पटकथा भी लिखी। फिल्म में किशोर कुमार और उनके पुत्र अमित कुमार ने क्रमशः पिता और पुत्र की भूमिका निभाई।
वर्ष 1969 में, फिल्म आराधना के गीतों ‘कोरा कागज था ये मन मेरा’, ‘मेरे सपनों की रानी’ और ‘रूप तेरा मस्ताना’ ने उन्हें बॉलीवुड के एक प्रमुख पार्श्वगायक के रूप में स्थापित कर दिया। उन्होंने अपना पहला फिल्मफेयर पुरस्कार ‘रूप तेरा मस्ताना’ के लिए जीता।
प्रसिद्ध अभिनेते राजेश खन्ना की सफलता के पीछे किशोर कुमार की आवाज को माना जाता है, क्योंकि उनकी कई फिल्मों किशोर कुमार के गाने हैं, जो कि उस समय चार्टबस्टर रहे थे।
किशोर कुमार को बॉलीवुड के सबसे बहुमुखी गायक के रूप में माना जाता है, क्योंकि वह पर्दे पर अभिनेता के अनुसार अपनी आवाज बदलने के लिए जाने जाते थे।
राजेश खन्ना के अलावा, किशोर कुमार ने अन्य अभिनेताओं को अपनी आवाज दी- धर्मेन्द्र, अमिताभ बच्चन , संजीव कुमार, जितेन्द्र, शम्मी कपूर, देव आनंद, शशि कपूर, विनोद खन्ना, मिथुन चक्रवर्ती , राज कुमार, दिलीप कुमार , आदित्य पंचोली, ऋषि कपूर, रणधीर कपूर, नसीरुद्दीन शाह, अनिल कपूर , संजय दत्त , सनी देओल, प्राण, राकेश रोशन, रजनीकांत , विनोद मेहरा, कुमार गौरव, चंकी पांडे, जैकी श्रॉफ और गोविंदा , आदि।
एक साक्षात्कार में, किशोर कुमार ने बताया कि फिल्म ‘मिली’ (1975) का गीत ‘बड़ी सूनी सूनी है’ उनका सबसे पसंदीदा गीत है। एस.डी.बर्मन द्वारा लिखा गया यह अंतिम गीत था।
1970 के दशक में, किशोर कुमार ने आर डी बर्मन के साथ कई गाने रिकॉर्ड किए। दोनों ने भारतीय सिनेमा को कई सदाबहार गीत दिए है जैसे कि- ‘ये जो मोहब्बत है’ और ‘ये शाम मस्तानी’ (कटी पतंग, 1971), ‘ओ माझी रे’ (खुशबू), ‘चिंगारी कोई भड़के’ (अमर प्रेम), ‘रात कली एक ख्वाब में आई’ (बुद्धा मिल गया), आदि।
हालांकि, किशोर कुमार के पास शास्त्रीय संगीत में कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं था, फिर भी आर. डी. बर्मन उन्हें अक्सर शास्त्रीय संगीत के गाने दिया करते थे, जैसे कि- ‘मेरे नैना सावन भादो’ (मेहबूबा) और ‘हमें तुम से प्यार कितना’ (कुदरत), आदि।
एक अभिनेता के रूप में उनका आखिरी फिल्म प्रदर्शन “दूर वादियों में कहीं” (1980) के लिए था।
किशोर ने चार बार शादियां कि। जब उन्होंने अपनी दूसरी पत्नी मधुबाला को प्रस्तावित किया, तब वह (मधुबाला) वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (दिल में छेद) से पीड़ित थी और अपने इलाज के लिए लंदन जाने की योजना बना रही थी।
मधुबाला से शादी करने के लिए, किशोर कुमार ने अपना हिन्दू धर्म बदल कर इस्लाम धर्म कर लिया था, और कथित तौर पर अपना नाम करीम अब्दुल रख लिया था। किशोर कुमार के माता-पिता ने इस शादी से इनकार कर दिया था, और मधुबाला को किशोर कुमार की पत्नी के रूप में कभी स्वीकार नहीं किया।
यह बहुत कम लोग जानते हैं कि 1971 की क्लासिक फिल्म- आनंद को शुरुआत में अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना की बजाय किशोर कुमार और महमूद को पेशकश की गई थी। हालांकि, जब ऋषिकेश मुखर्जी किशोर कुमार के घर गए थे, तो उन्हें किशोर कुमार के चौकीदार ने डराकर भगा दिया था। असल में किशोर कुमार को एक बांगल स्टेज शो के आयोजक ने भुगतान नहीं दिया था। इस वजह से किशोर कुमार ने अपने चौकीदार को किसी भी बांग्ला व्यक्ति को बंगले में आते ही उसे भागने की इजाजत दे रखी थी। जो कि उनके चौकीदार ने ऋषिकेश मुखर्जी के ऊपर अनजाने में ही लागू कर दिया।
पूर्ण भुगतान न मिलने के कारण किशोर कुमार अजीबो-गरीब हरकते करने के लिए जाने जाते थे। निर्मतिओं के द्वारा पूर्ण भुगतान प्राप्त करने के बाद ही वह गाते थे। जब उन्हें पता चला कि उन्हें पूरी तरह से भुगतान नहीं हुआ है तो वह अपने चेहरे के एक तरफ ही मेकअप करने के बाद सेट पर आए। तो वह हर सुबह ‘हे तलवार, दे दे मेरे आठ हज़ार’ जोर-जोर गाते थे। जब तक कि तलवार ने किशोर को पूरा भुगतान नहीं कर दिया।
अपने आयकर (income-tax) के बकाए राशि का भुगतान करने के लिए, वह लाइव शो भी किया करते थे।
अपने ‘कोई पैसा नहीं, कोई काम नहीं’ के सिद्धांत के बावजूद, जब कि निर्माता उन्हें अधिक भुगतान करने के लिए तैयार रहते थे। एक अवसर पर, उन्होंने फिल्म ‘दाल में काला’ (1964) के लिए बिपीन गुप्ता (अभिनेता से निर्माता बने) को 20,000 रुपये देकर उनकी मदद की।
किशोर कुमार के सनकी व्यवहार के बारे में कई कहानियाँ हैं। उन्होंने अपने ‘वार्डन रोड फ्लैट’ के दरवाज़े पर एक साइनबोर्ड लगा रखा था, जिसमें लिखा हैं, ‘किशोर से खबरदार’ (Beware of Kishore)। एक घटना के मुताबिक, निर्माता-निर्देशक जी.पी सिप्पी ने किशोर कुमार के बंगले का दौरा किया, जब किशोर अपनी कार से बाहर जा रहे थे तो सिप्पी ने किशोर को अपनी कार को रोकने के लिए कहा तो उन्होंने अपनी कार की गति बढ़ा दी।सिप्पी ने किशोर कुमार का मध् आइलैंड तक पीछा किया जहां उन्होंने अंततः अपनी कार रोक दी। जब सिप्पी ने उनके असामान्य व्यवहार पर सवाल उठाया तो किशोर ने उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया और पुलिस को फोन करने कि धमकी दी। जब अगले दिन दोनों ने मुलाकात की, तो गुस्से में सिप्पी ने किशोर कुमार से पूछताछ की और पिछले दिन उनके अजीब व्यवहार का कारण पूछा तो किशोर ने कहा की सिप्पी ने इस घटना का सपना देखा होगा और कहा कि वह पिछले दिन खांडवा (मध्य प्रदेश) में थे।
किशोर कुमार ने ब्रिलक्रीम का प्रचार किया और वह खुद भी इसका इस्तेमाल किया करते थे।
उन्हें मीडिया से बात-चीत करना पसंद नहीं था और इसलिए मीडिया से दूर रहने के लिए उन्होंने अपने तरीके तैयार किए थे। अपने रहने वाले कमरे में, किशोर कुमार ने लाल बत्ती में खोपड़ी और हड्डियों को रखा था और अवांछित आगंतुकों को दूर करने के लिए उन्होंने कमरे में डरावनी आवाज भी लगा रखी थी।
वह टेबल टेनिस खेलना पसंद करते थे।
अपने पूरे जीवन काल के दौरान, किशोर कुमार अकेले थे। प्रितिष नन्दी के साथ एक साक्षात्कार में कुमार ने कहा कि उनका कोई दोस्त नहीं था। जब एक बार पत्रकार ने किशोर से पूछा कि वह कितने अकेले हैं, तो वह पत्रकार को अपने बगीचे में ले गए, कुछ पेड़ों का नाम बताया और उन्हें अपने सबसे करीबी दोस्तों के रूप में पेश किया।
किशोर कुमार ने अब तक सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के लिए 8 फिल्मफेयर पुरस्कार जीते थे, जो की एक रिकॉर्ड है।
वह रोज उपन्यास पढ़ते थे।
13 अक्टूबर 1987 को उनके भाई अशोक कुमार के 76 वें जन्मदिन पर मुंबई में शाम 4:45 मिनट पर किशोर कुमार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। किशोर कुमार के शरीर का अंतिम संस्कार उनके गृहनगर खंडवा, मध्य प्रदेश में हुआ।
उनका अंतिम गीत ‘गुरु गुरु’ – फिल्म ‘वक़्त की आवाज़’ (1988) के लिए आशा भोसले के साथ एक युगल था। यह गीत बप्पी लाहिरी द्वारा मिथुन चक्रवर्ती और श्रीदेवी के लिए लिखा गया था। इस गीत को उनके मरने से पहले रिकॉर्ड किया गया था।
उन्होंने लता मंगेशकर को अपना अंतिम साक्षात्कार दिया।
4 अगस्त 2014 को, उनकी 85 वीं जयंती के लिए, गूगल ने अपने होमपेज पर किशोर कुमार के लिए विशेष डूडल लगाया।
उनके सभी गीत सदाबहार माने जाते है, और आज भी दुनिया भर में लोग किशोर कुमार के गीतों को सुनते हैं।
वर्तमान भारत के उभरते हुए गायक चाहे वह कुमार सानू , मोहित चौहान, अरिजीत सिंह हो यह सब किशोर कुमार को अपना गुरु मानते हैं, और उनकी पूजा करते हैं।
क्रिकेटरों में संजय मांजरेकर, सचिन तेंदुलकर , शोएब अख्तर आदि सभी किशोर कुमार के गाने के प्रशंसक हैं। वास्तव में, किशोर कुमार के गीत महान भारतीय बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के दिनचर्या का हिस्सा हैं।
किशोर कुमार के ऊपर एक जीवनी फिल्म अनुराग बासु के द्वारा बनाई जा रही है, जिसमे रणबीर कपूर ने किशोर कुमार की भूमिका निभाई है।
जुलाई 2017 में, खंडवा (मध्य प्रदेश) के कलेक्टर ने गांगुली हाउस के विध्वंस पर रोक लगा दी थी, जो कि गायक किशोर कुमार और उनके भाइयों का पैतृक घर था। कलेक्टर अभिषेक सिंह ने कहा कि “संगीत प्रेमियों और स्थानीय लोगों की भावनाएं इस घर से जुडी हुई है, इसलिए मैंने विध्वंस पर रोक लगाई दी है।” जिससे पहले, खंडवा की नगरपालिका आयुक्त द्वारा दो मंजिला मकान को विध्वंस करने की घोषणा की गई और एक नोटिस भी जारी किया गया, जिसमें लिखा था की यह घर काफी पुराना हो गया है, और कभी भी गिर सकता हैं, जिसे लोगों को नुकसान पहुंच सकता है, यह निवासस्थान लोगों के लिए सुरक्षित नहीं हैं, और इसको 24 घंटों के भीतर खाली कर दिया जाना चाहिए।
प्रस्तुत है गीतकार जावेद अख्तर की आवाज में किशोर कुमार कि जीवनी-
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