Ajay Piramal Biography in Hindi | अजय पीरामल जीवन परिचय | StarsUnfolded - हिंदी
Ajay Piramal Biography in Hindi | अजय पीरामल जीवन परिचय | StarsUnfolded - हिंदी
जीवन परिचय | |
---|---|
वास्तविक नाम | अजय गोपीकृष्ण पीरामल |
व्यवसाय | व्यवसायी |
लोकप्रियता | पीरामल समूह और श्रीराम समूह के अध्यक्ष होने के नाते ![]() |
शारीरिक संरचना | |
लम्बाई (लगभग) | से० मी०- 185 मी०- 1.85 फीट इन्च- 6' 1" |
वजन/भार (लगभग) | 95 कि० ग्रा० |
आँखों का रंग | काला |
बालों का रंग | धूसर |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 3 अगस्त 1955 |
आयु (2017 के अनुसार) | 62 वर्ष |
जन्मस्थान | बागड़, जिला झुंझुनूं, राजस्थान |
राशि | सिंह |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | मुंबई, महाराष्ट्र, भारत |
स्कूल/विद्यालय | ज्ञात नहीं |
महाविद्यालय/विश्वविद्यालय | जय हिंद कॉलेज, मुंबई (बीएससी (ऑनर्स)) जमनालाल बजाज प्रबंधन अध्ययन संस्थान, मुंबई (एमएमएस) हार्वर्ड बिजनेस स्कूल, बोस्टन, यूएसए (एएमपी) |
शैक्षिक योग्यता | बीएससी (ऑनर्स) मास्टर ऑफ बिज़नस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए) उन्नत प्रबंधन कार्यक्रम (एएमपी) |
धर्म | हिन्दू |
जातीयता | मारवाड़ी |
खाद्य आदत | शाकाहारी |
पता | 'पीरामल हाउस' वर्ली, मुंबई में |
शौक/अभिरुचि | यात्रा करना, तैराकी करना, क्रिकेट खेलना, फुटबॉल देखना |
पुरस्कार/सम्मान | • वर्ष 1999 में, उन्हें विश्व रणनीति मंच द्वारा 'CEO of the Year Award' के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। • वर्ष 2001 में, उन्हें Rotary International (District 3140) Certificate और 'फॉर वे टेस्ट पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। • वर्ष 2004 में, उन्हें हेल्थकेयर एंड लाइफ साइंसेज श्रेणी में 'Ernst & Young's Entrepreneur of the Year' पुरस्कार से सम्मानित किया गया। • वर्ष 2004 में, उन्हें विश्व आर्थिक मंच द्वारा 'Global Leaders of Tomorrow' ख़िताब से सम्मानित किया गया। • वर्ष 2006 में, उन्हें ब्रिटेन व्यापार और निवेश परिषद के द्वारा 'Entrepreneur of the Year' पुरस्कार से सम्मानित किया गया। • वर्ष 2008 में, उन्हें सीएनबीसी टीवी 18 द्वारा 'इंडिया इनोवेटर ऑफ द ईयर' पुरस्कार से सम्मानित किया गया। • वर्ष 2010 में, उन्हें 'क्रियाशील ग्लोबल अचीवर्स' पुरस्कार से सम्मानित किया गया। • वर्ष 2014 में, उन्हें फोर्ब्स फिलैनथ्रोपी द्वारा "Distinguished Family of the Year" के ख़िताब से सम्मानित किया गया। • वर्ष 2014 में, उन्हें एमिटी यूनिवर्सिटी द्वारा दर्शनशास्र की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। ![]() • वर्ष 2016 में, एआईएमए द्वारा 'Corporate Citizen of the Year' पुरस्कार से सम्मानित। • वर्ष 2017 में, 'Asia Business Leader of the Year' पुरस्कार से सम्मानित किया गया। |
पसंदीदा चीजें | |
पसंदीदा व्यक्तित्व | जमशेदजी टाटा, बिल गेट्स, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद |
पसंदीदा पुस्तक | भगवद गीता |
पसंदीदा चित्रकार | वी.एस. गायतोंडे, एम. एफ हुसैन, एस. एच रजा और एफ. एन सूजा |
पसंदीदा खेल | पोलो |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
गर्लफ्रेंड एवं अन्य मामले | स्वाति पीरामल (व्यवसायी, चिकित्सक) |
विवाह तिथि | वर्ष 1976 |
परिवार | |
पत्नी | स्वाति पीरामल (विवाह 1976 - वर्तमान) ![]() |
बच्चे | बेटा : आनंद पीरामल (व्यवसायी) बेटी : नंदिनी पीरामल (व्यवसायी) ![]() |
माता-पिता | पिता - गोपीकृष्ण पीरामल (व्यवसायी) माता - ललिता पीरामल ![]() |
भाई-बहन | भाई - दिलीप पीरामल (ज्येष्ठ, व्यवसायी), अशोक पीरामल (ज्येष्ठ - वर्ष 1984 में निधन) बहन - कोई नहीं |
धन संबंधित विवरण | |
घर/एस्टेट | ग्रीन वुड्स, महाबलेश्वर, महाराष्ट्र में एक विला |
संपत्ति (लगभग) | ₹33 हजार करोड़ |
अजय पीरामल से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ
क्या अजय पीरामल धूम्रपान करते हैं ?: ज्ञात नहीं
क्या अजय पीरामल शराब पीते हैं ?: ज्ञात नहीं
अजय का जन्म राजस्थान के एक मारवाड़ी वस्त्र व्यापारी परिवार में हुआ।
उनके दादा सेठ पीरामल चतुर्भुज माखरिया ने शुरुआत में कपास का व्यवसाय किया। वर्ष 1920 में पहले विश्व युद्ध के बाद मखार गांव से झुंझुनू के बागड़ शहर में आने के बाद उन्होंने पीरामल समूह के व्यापारिक साम्राज्य का गठन किया।
उनके दादा का नाम बागड़ के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा गया था। उनके नाम पर डाक टिकट भी जारी किया गया था। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्होंने वर्ष 1920 के दशक में बागड़ शहर के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
उनका पारिवारिक नाम “माखरिया” था, लेकिन उनके पिता अपने दादा के नाम “पीरामल” को अपने उपनाम के रूप में इस्तेमाल करते थे, जिसके बाद इस परंपरा को अपनाते हुए, उन्होंने भी “पीरामल” के उपनाम का प्रयोग किया।
उनके दादाजी ने भारत की पहली पंजीकृत कपास मिल “मोरारजी मिल्स” के अधिग्रहण के बाद एक बड़े पैमाने पर कपड़े का व्यापार शुरू किया।
अपनी परास्नातक की डिग्री के दौरान वह एक गुजराती डॉक्टर स्वाति के प्यार में पड़ गए और परास्नातक पूरी करने के बाद उन्होंने एक दूसरे से विवाह कर लिया।
22 साल की उम्र में एमबीए की डिग्री पूरी करने के तुरंत बाद, वह अपने पिता के वस्त्र व्यापार में शामिल हो गए। अजय अपने दो बड़े भाईयों दिलीप और अशोक के साथ संयुक्त रूप से अपने पिता के कारोबार को चलाते थे, लेकिन वर्ष 1979 में उनके पिता की मौत के बाद, दिलीप ने अपना कारोबार अलग कर लिया और 1982-83 में ‘वीआईपी इंडस्ट्रीज’ और ‘ब्लोप्लास्ट’ नामक कंपनी को शुरू किया। पांच साल बाद, वर्ष 1984 में, उनके दूसरे भाई अशोक की कैंसर की बीमारी से मृत्यु हो गई, जिसके बाद अजय ‘पीरामल एंटरप्राइजेज’ के अध्यक्ष बने, इसके साथ उन्हें मोरारजी मिल्स के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में भी नियुक्त किया गया, लेकिन वर्ष 1982 की दत्ता सावंत हड़ताल ने मुंबई कपड़ा उद्योग को बाधित किया। जिसके बाद अजय ने व्यापार के अन्य स्त्रोत को चुनने का फैसला किया।
उसी वर्ष, उन्होंने “गुजरात ग्लास” कंपनी को खरीदा, जो उनके लिए एक मुनाफा निवेश साबित हुई।
उनका बचपन से ही घुड़सवारी करने का शौक रहा है।
वर्ष 1988 में, उनके जीवन में मोड़ तब आया, जब उन्होंने अपने व्यापार को फार्मास्यूटिकल्स और हेल्थकेयर सेक्टर में विस्तारित किया। जिसके चलते उन्होंने एक फार्मा कंपनी ‘निकोलस लेबोरेटरीज’ को ₹16 करोड़ में खरीदा, उसके बाद उन्होंने उस कंपनी का नाम “निकोलस पीरामल” रख दिया।
यद्यपि वह इस क्षेत्र के बारे में कुछ भी नहीं जानते थे, फिर भी उन्होंने अधिक समय तक कार्य किया, सर्वोत्तम प्रथाओं का इस्तेमाल किया, प्रतिस्पर्धी कीमतों का इस्तेमाल किया, स्वदेशी दवाओं का इस्तेमाल किया और देखते ही देखते कुछ सालों में वह एक ऐसे स्तर पर पहुंच गए कि वे भारी संख्या में प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हो गए, उस समय की सबसे प्रसिद्ध कंपनियां – ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन और पी-फाइजर थीं।
वर्ष 1993 में, उन्होंने ₹20 करोड़ में एक हेल्थकेयर कंपनी ‘रोचे प्रोडक्ट्स’ को खरीद कर फार्मा और रियल एस्टेट में विभाजित किया और भारत के पहले शॉपिंग मॉल ‘क्रॉस रोड’ को स्थापित किया।
वर्ष 1996 में, Boehringer Mannheim नामक एक दवा कंपनी ने पीरामल को एक कमीशन दिया, जिसके बाद उन्होंने कंपनी का अधिग्रहण कर लिया।
अगले ही वर्ष में, उन्होंने उपभोक्ता सामान कंपनी ‘Reckitt & Colman’ के साथ संयुक्त उद्यम को शुरू किया।
36 साल की उम्र में, उन्होंने Advanced Management Programme (AMP) के लिए अमेरिका के विश्व प्रसिद्ध हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में दाखिला लिया, ताकि वह अपने व्यावसायिक कौशल को तेज कर सकें।
वर्ष 2000 में, उन्होंने ₹236 करोड़ में ‘Rhône-Poulenc’ नामक एक दवा कंपनी का अधिग्रहण किया, जो उस समय के सबसे बड़े अधिग्रहण में से एक माना जाता था।
वर्ष 2005 में, उन्होंने रीयल एस्टेट कंपनी ‘The Glass Group’ का ₹84 करोड़ में अधिग्रहण किया। जिसके चलते उन्होंने उसी वर्ष कारोबार करने के लिए ₹180 करोड़ का निवेश किया।
वह “भगवद गीता” के अनुयायी हैं। भगवद गीता से प्रेरित होकर वर्ष 2006 में उन्होंने प्रबंधन पाठों के लिए “The Light Has Come to Me” नामक पुस्तक को लिखा।
वर्ष 2009 में, उन्होंने Interventional Pain Management श्रेणी की सबसे बड़ी दवा कंपनियों में से एक ‘Minrad’ कंपनी का ₹188 करोड़ में अधिग्रहण किया।
उसी वर्ष, उन्होंने ‘पीरामल फाउंडेशन’ नामक एक गैर-लाभकारी संगठन की स्थापना की, जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, आजीविका निर्माण और युवा सशक्तिकरण प्रदान करना है। जिसके चलते उन्हें इंडिया टुडे ग्रुप द्वारा आयोजित पुरस्कार समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘Corporate Trailblazer’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
वर्ष 2010 में, उन्होंने अपने जीवन का सबसे बड़ा सौदा किया, जब उन्होंने अपने घरेलू फॉर्मूलेशन बिजनेस को 3.8 बिलियन डॉलर में एबॉट लैब्स को बेच दिया था।
वर्ष 2011 की शुरुआत में, उनके पास निवेश करने के लिए बहुत पैसा था, लेकिन निवेश के विकल्पों में से बाहर निकलकर उन्होंने देखा कि भारत भ्रष्टाचार, नौकरशाही और सरकारी नीतियों के आधार पर बदल रहा था, जिससे व्यापारियों को निवेश करना मुश्किल हो गया था।
वर्ष 2017 में, उन्होंने अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के माध्यम से पीरामल फाइनेंस लिमिटेड (पीएफएल) के साथ वित्त आवास व्यवसाय में प्रवेश किया।
उन्होंने अपने बेटे आनंद को ‘पीरामल रियल्टी’ का कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया, जबकि नंदिनी को पीरामल समूह के मानव संसाधन विभाग का प्रबंधन सौंपा।
पीरामल समूह 4 प्रमुख कंपनियों का एक विश्वव्यापी व्यापार समूह हैं, जिसमें पीरामल एंटरप्राइजेज लिमिटेड, पीरामल ग्लास, पीरामल रियल्टी और पीरामल फाउंडेशन शामिल है।
उन्हें टाई पहनने का बहुत शौक है, जिसे उनकी पत्नी पेरिस की “लियोनार्ड” से खरीदती हैं।
वर्ष 1980 के दशक से ही पीरामल और अंबानी एक दूसरे के पारिवारिक मित्र रहे हैं और वर्ष 2018 में उनकी दोस्ती पारिवारिक संबंधों में बदल गई, जब उनके बेटे आनंद पीरामल ने मुकेश अंबानी की बेटी ईशा अंबानी से सगाई की।
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